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फिशिंग से कैसे बचे

सोशल मीडिया (Social Media) और डिजटलीकरण के इस दौर में जरा सी सावधानी हटी और दुर्घटना घटने में देर नहीं लगती है। फिशिंग (Phishing) की घटनाएं लगातार बढ़ती जा रही हैं। हैकर्स आसानी से लोगों को अपने जाल में फंसा लेते हैं और उनके बैंक अकाउंट खाली कर देते हैं। मगर आप थोड़ी सी सावधानी अपनाकर फिशिंग से बच सकते हैं। आज हम आपको ऐसे ही 6 आसान उपाय बताने जा रहे हैं।

किसी भी लिंक पर क्लिक करने से पहले दो बार सोचें

बहुत से लोग मैसेज को ठीक से पढ़े बिना लिंक पर क्लिक करते हुए बिना सोचे-समझे अपने ईमेल ब्राउज़ करते हैं। आंकड़ों के अनुसार, 30 फीसदी फिशिंग ईमेल IT सिक्योरिटी और आपके ईमेल क्लाइंट द्वारा प्रदान किए गए चेकइन के माध्यम से बनते हैं।

हैकर्स यूजर्स को टारगेट करके पहले कुछ जानकारी जुटाते है, फिर बड़ी ही चालाकी से फिशिंग ईमेल तैयार करते है। इस तरह के फिशिंग ईमेल किसी प्रोमेशन या विज्ञापन की तरह नजर आते हैं, जो आपके मेल के स्पैम फोल्डर की जगह इनबॉक्स में पहुंच जाते है। इसलिए किसी भी एम्बेडेड लिंक पर क्लिक करके आगे बढ़ने से पहले आपको हमेशा कंटेंट का सावधानीपूर्वक मूल्यांकन करना चाहिए।

ऐसे पहचाने फिशिंग ईमेल-

  • वेबसाइट के सिक्योरिटी सर्टिफिकेट की जाँच करें।
  • किसी ईमेल पर कोई एक्शन लेने से पहले, जांच लें कि URL वैध है और वह ‘HTTPS’ से शुरू होता है। एड्रेस बार के पास बंद लॉक आइकन देखें। यदि इनमें से कोई भी गायब है, तो आपको वेबसाइट पर जाने से बचना चाहिए।

अपने ब्राउज़र को अपडेट करें

बहुत से लोगों को ऐसा लगता है कि ब्राउज़र अपडेट करना केवल समय और डेटा की बर्बादी है, मगर यह हकीकत नहीं हैं। अपडेट सिक्योरिटी प्रोटोकॉल का हिस्सा हैं जो नेटवर्क में खामियों के जवाब में रिलीज किए जाते हैं। ये कमजोरियां वे रास्ते हैं जिनके माध्यम से हैकर्स सिस्टम तक पहुंच प्राप्त करते हैं, और अपग्रेड उन्हें पैच अप करने के लिए काम करते हैं। इसलिए, जब भी अपडेट उपलब्ध हों, उन्हें डाउनलोड और इंस्टॉल करने में बिलकुल भी संकोच न करें।

 

अपने ऑनलाइन अकाउंट्स की रेगुलर जांच करें

आजकल उपलब्ध ऑनलाइन प्लेटफॉर्म की संख्या को देखते हुए यह थोड़ा मुश्किल हो सकता है, लेकिन जितनी बार संभव हो अपने ऑनलाइन अकाउंट्स में चेक इन करने का प्रयास करें। अपने अकाउंट्स को लंबे समय तक बिना निगरानी के छोड़ना इसे हैकर्स के लिए एक आसान टारगेट बना देगा। साथ ही, अपने पासवर्ड समय-समय पर बदलते रहें और एक से अधिक साइटों पर एक ही तरह के पासवर्ड का उपयोग न करें।

पॉप-अप से सावधान रहें

पॉप-अप पहले से ही यूजर्स को परेशान करते रहे हैं, लेकिन इन दिनों पॉप-अप फिशिंग अटैक को अंजाम देने का माध्यम बन गए हैं। यदि आप पहले से पॉप-अप ब्लॉकर का उपयोग करते हैं, तो आप सही रास्ते पर हैं। लेकिन फिर भी कोई आपके फोन या लैपटॉप तक किसी तरह के पॉप-अप को पहुंचा देता है, तो बस विंडो के ऊपरी दाएं कोने में ‘x’ पर क्लिक करें।

फायरवॉल का प्रयोग करें

फायरवॉल आपके कम्प्यूटर और किसी थर्ड पार्टी के बीच एक बैरियर के रूप में काम करता है। डेस्कटॉप और नेटवर्क फायरवॉल के कॉम्बीनेशन का प्रयोग हैकर्स के लिए आपके सिस्टम तक पहुंच को मुश्किल बना देता है। इससे आपके सिस्टम को हैक करने के लिए अधिक समय लगेगा, जो शायद हैकर्स के पास नहीं होगा।

यूज करें एंटीवायरस सॉफ्टवेयर

फायरवॉल बाहर से आने वाली मैलिसियस फाइल के अटैक को ब्लॉक करता है, जबकि एंटीवायरस सॉफ्टवेयर आपके नेटवर्क से आने वाली फाइलों को स्क्रैन करता है। आपको अपने सभी उपकरणों में एंटीवायरस सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल करना चाहिए। एंटीवायरस सॉफ्टवेयर वायरस को डिवाइस में आने से रोकता है और कुछ खामियों को भी दूर करता है, जिसका फायदा हैकर्स उठा सकते हैं।

अपने ब्राउज़र को एंटी-फिशिंग टूलबार के साथ कस्टमाइज (अपनी पसंद के मुताबिक) करें

एंटी-फिशिंग टूलबार आपके द्वारा खोली जाने वाली साइटों की तुरंत जांच करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। यह उनकी तुलना पहले से पहचानी गईं फिशिंग साइटों से करता है और मैलिसियस एक्टविटी के मामले में आपको तुरंत अलर्ट करता है। सिक्योरिटी को दोगुना करने के लिए आप अपने इंटरनेट ब्राउज़र में टूलबार अटैच कर सकते हैं। सबसे बड़ी बात, यह बिलकुल फ्री है।

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